Adani के सपोर्ट वाला ये Power Stock करेगा 1:10 में Stock Split, जाने इस शेयर का नाम

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Published on: 02 August, 2025


अडानी पावर के शेयरधारकों, तैयार हो जाइए! कंपनी का बोर्ड 1 अगस्त 2025 को एक महत्वपूर्ण मीटिंग कर रहा है, जहाँ मौजूदा ₹10 फेस वैल्यू वाले इक्विटी शेयर्स के सब-डिवीजन यानी स्टॉक स्प्लिट पर चर्चा होगी। यह फैसला भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट थर्मल पावर कंपनी के शेयरों को और अधिक सुलभ बना सकता है।

Adani Backed Power Stock Will Stock Split

स्टॉक स्प्लिट क्यों मायने रखता है?

स्टॉक स्प्लिट में कंपनी अपने शेयर्स को छोटे टुकड़ों में बाँट देती है, जिससे उनकी प्रति शेयर कीमत कम हो जाती है। उदाहरण:

  • यदि ₹2,000 का 1 शेयर 1:10 स्प्लिट होता है, तो आपको ₹200 के 10 शेयर मिलेंगे।
  • कुल निवेश की वैल्यू वही रहती है, पर छोटे निवेशकों के लिए खरीदारी आसान हो जाती है।

अडानी पावर का डोमिनेंस

कंपनी का बिजनेस मॉडल इन चार स्तंभों पर टिका है:

  1. पावर जनरेशन: थर्मल और रिन्यूएबल एनर्जी संयुक्त रूप से।
  2. ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन: बिजली को ग्राहकों तक पहुँचाना।
  3. रेवेन्यू मॉडल:
    • 80% लॉन्ग-टर्म PPAs (राज्य बिजली बोर्डों के साथ)।
    • 20% शॉर्ट-टर्म PPAs और मर्चेंट सेल्स।
  4. कोल लॉजिस्टिक्स: खुद की कोयला आपूर्ति श्रृंखला से लागत नियंत्रण।

वित्तीय ताकत

पैरामीटरप्रदर्शन
मार्केट कैप₹2 लाख करोड़ से अधिक
5-वर्षीय PAT CAGR65.3% (अभूतपूर्व वृद्धि)
ROE/ROCE26%/23%
PE अनुपात18x
5-वर्षीय रिटर्न1,500% से अधिक (मल्टीबैगर)

ताजा ट्रेंड:

  • शेयर प्राइस 52-सप्ताह के निचले स्तर (₹430.85) से 40% ऊपर
  • Q1 FY25 में रेवेन्यू 16% और लाभ 38% बढ़ा (वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार)।

स्टॉक स्प्लिट के संभावित प्रभाव

  • रिटेल निवेशकों को बढ़ावा: कम कीमत पर शेयर खरीदने की सुविधा।
  • लिक्विडिटी बढ़ सकती है: ट्रेडिंग वॉल्यूम में वृद्धि होने की संभावना।
  • मनोवैज्ञानिक लाभ: कम दाम वाले शेयर अक्सर नए निवेशकों को आकर्षित करते हैं।

जोखिम कारक

  • सेक्टर चुनौतियाँ: कोयले की कीमतों में उतार-चढ़ाव, पॉलिसी बदलाव।
  • कर्ज का बोझ: हालांकि कंपनी ने हाल में डेट कम किया है, लेकिन यह निगरानी का विषय बना हुआ है।
  • वैश्विक प्रतिस्पर्धा: रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र में बढ़ती होड़।

निष्कर्ष

अडानी पावर का स्टॉक स्प्लिट प्रस्ताव निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा लगता है। कंपनी का मजबूत वित्तीय ट्रैक रिकॉर्ड और पावर सेक्टर में नेतृत्व इस फैसले को सकारात्मक बनाता है। हालाँकि, बोर्ड मीटिंग के बाद ही स्प्लिट अनुपात और शेयरधारकों की मंजूरी जैसे विवरण स्पष्ट होंगे।